Thursday, 26 September 2013

श्री राम नाम की महिमा

श्री राम नाम की महिमा

एक बार पार्वती जी ने भगवान शिवजी से श्री हरि की आराधना के बारे में पूछा तो भगवान शिव ने उनको भगवान श्री विष्णु की श्रेष्ठ आराधना, नित्य-नैमित्तिक कृत्य तथा भगवत्भक्तों की पूजा का वर्णन किया। जिसे सुन कर पार्वती जी ने कहा - नाथ ! आपने उत्तम वैष्णव धर्म का भलीभाँति वर्णन किया। वास्तव में परमात्मा श्री विष्णु का स्वरूप गोपनीय से भी अत्यन्त गोपनीय है। सर्वदेव वन्दित महेश्वर ! मैं आपके प्रसाद से धन्य और कृतकृत्य हो गयी। अब मैं भी सनातन देव श्री हरि का पूजन करूँगी।
श्री महादेव जी बोले - देवी ! बहुत अच्छा, बहुत अच्छा ! तुम सम्पूर्ण इन्द्रियों के स्वामी भगवान लक्ष्मीपति का पूजन अवश्य करो। भद्रे ! मैं तुम-जैसी वैष्णवी पत्नी को पाकर अपने को कृतकृत्य मानता हूँ।
वसिष्ठजी कहते है - तदनन्तर महादेव जी से उपदेशानुसार पार्वती जी प्रतिदिन श्रीविष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करने के पश्चात भोजन करने लगीं। एक दिन परम मनोहर कैलास शिखर पर भगवान श्री विष्णु की आराधना करके भगवान शंकर ने पार्वतीदेवी को अपने साथ भोजन करने के लिये बुलाया। तब पार्वति देवी ने कहा - "प्रभो ! मैं श्रीविष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करने के पश्चात भोजन करूँगी, तब तक आप भोजन कर लें" यह सुन कर महादेव जी ने हँसते हुए कहा - "पार्वती ! तुम धन्य हो, पुण्यात्मा हो ; क्योकि भगवान श्रीविष्णु में तुम्हारी भक्ति है। देवि ! भाग्य के बिना भगवान श्रीविष्णु की भक्ति प्राप्त होना बहुत कठिन है। सुमुखि ! मैं तो "राम ! राम ! राम !" इस प्रकार जप करते हुये परम मनोहर श्रीराम नाम में ही निरन्तर रमण किया करता हूँ । राम-नाम सम्पूर्ण सहस्त्रनाम के समान है। पार्वती ! रकारादि जितने नाम हैं, उन्हें सुनकर रामनाम ही आशंका से मेरा मन प्रसन्न हो जाता है।

श्रीराम राम रामेति रमे रामे मनोरमे । सहस्त्रनाम ततुल्यं रामनाम वरानने ॥
रकारादीनि नामानि श्रृण्वतो म्म पार्वति । मनः प्रसप्रतां याति रामनामाभिशंकया ॥ (२८१ । २१-२२)

अतः महादेवि ! तुम राम-नाम का उच्चारण करके इस समय मेरे साथ भोजन करों ।" यह सुन कर पार्वती जी ने राम-नाम का उच्चारण करके भगवान शंकर के साथ बैठकर भोजन किया। इसके बाद उन्होने प्रसन्नचित होकर पूछा - ‘ देवेश्वर ! आपने राम-नाम को सम्पूर्ण सहस्त्रनाम के तुल्य बतलाया है यह सुन कर राम-नाम में मेरी बडी भक्ति हो गयी हैं अतः भगवान श्री राम के यदि और भी नाम हों तो बताइयें।’
श्री महादेव जी बोले - "पार्वती ! सुनो, मैं श्रीरामचन्द्र जी के नामों का वर्णन करता हूँ। लौकिक और वैदिक जितने भी शब्द हैं, वे सब श्रीरामचन्द्रजी के ही नाम हैं। किन्तु सहस्त्रनाम उन सबमें अधिक है और उन सहस्त्रनामों में भी श्रीराम के एक सौ आठ नामों की प्रधानता अधिक है। श्रीविष्णु का एक-एक नाम ही सब वेदों से अधिक माना गया है। वैसे ही एक हजार नामों के समान अकेला श्रीराम-नाम माना गया है। पार्वती ! जो सम्पूर्ण मन्त्रों और समस्त वेदों का जप करता है, उसकी अपेक्षा कोटिगुना पुण्य केवल राम-नाम से उपलब्ध होता है।"

 
         


 राम नाम जाप से ही सभी कष्टों से मुक्ति
बहादुरगढ [जागरण संवाद केंद्र]। स्थानीय वेदान्त आश्रम में श्रद्धालुओं को प्रवचन सुनाते हुए स्वामी देवेंद्रानन्दगिरी ने कहा कि राम नाम ही चंद्रमा है, राम नाम ही सूर्य है, राम नाम ही अग्नि है और राम नाम ही मनुष्य को इस जीवन रूपी भव सागर से पार उतार सकता है।
स्वामी जी ने राम नाम की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस कलियुग में राम नाम ही सुख शांति का मार्ग है और राम नाम ही इस जीवन रूपी सागर से पार उतार सकता है क्योंकि श्वास कब पूरे हो जाएं यह कोई नहीं जानता इसलिए प्रत्येक मनुष्य को सच्चे मन से राम नाम का जाप करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में सबरी,गिद्धव अजामिलका राम नाम ने ही उद्धार किया था और काग से कोयल बनाने की क्षमता भी राम नाम में ही है। महंत जी ने कहा कि पानी को मथानी से चलाने पर भले ही घी निकल आए, बालू के मशीन में डालने से भले ही तेल प्राप्त हो जाए और कोई भी असंभव कार्य भले ही संभव हो जाए लेकिन राम नाम के संकीर्तन बिना जीवन रूपी भवसागर से पार नहीं उतरा जा सकता।
उन्होंने कहा कि राम नाम की भक्ति की प्राप्ति सत्संग के बिना और सत्संग की प्राप्ति श्रीराम की कृपा के बिना नहीं हो सकती और प्राचीन काल में ऋषि, मुनियों ने भी राम नाम की महिमा का गुणगान किया है। उन्होंने कहा कि राम नाम का जाप मनुष्य को सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति दिला सकता है क्योंकि राम नाम में वो अपार शक्ति है जिसका कोई अनुमान नही है।
उन्होंने कहा कि संकीर्तन करके भगवान को रिझाने की परम्परा इसी काल से शुरू हुई थी जो कि आज भगवान को प्राप्त करने का सबसे उत्तम रास्ता है। उन्होंने कहा कि प्यार किया नहीं जाता हो जाता है। प्यार की आसक्ति,भगवान के चरणों में लगाई जाए तो मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर सकता है।

   

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