श्री कृष्ण जन्म कथाः
द्वापर युग में पृथ्वी पर राक्षसो के अत्याचार बढने लगे पृथ्वी गाय का रूप धारण कर अपनी क श्रीकृष्ण जन्म कथा
पाप यह भी बिल्कुल भी चिंतित था पृथ्वी भगवान पर काफी वृद्धि हुई है . ब्रह्मा के साथ साथ Dewatao सारी पृथ्वी , भगवान विष्णु लेटेक्स सागर लिया. बेड पर भगवान विष्णु नींद को अंतिम रूप दिया गया . मेरा उद्धार रहते हैं . " मैं नर, चिंता मत करो - - . . भगवान विष्णु ने कहा कि सुनने के लिए आश्वस्त है जबकि अवतार पृथ्वी पर आते हैं और यह मोक्ष प्रदान करेगा मथुरा में पैदा किया जा रहा मेरे अवतार कश्यप मुनि के अवतार लेने से पहले, वासुदेव जाना जाएगा मैं पत्नी हूँ वासुदेव और देवकी के ब्रज मंडल कृष्णा में गर्भ और उनकी दूसरी पत्नी की मेरी सवारी के गर्भ से जन्म लेने के रूप में बलराम Sheshnaag के रूप में उत्पन्न हो जाएगा . तुम सब देवताओं ब्रज यादव वंश उस में उसके शरीर धारण कर जमीन में चला गया . क्षेत्र में कुरुक्षेत्र पृथ्वी के क्षत्रियों पापी पापों की हत्या से मैं राहत मिली . " Antrdhyan तो कह रहे थे . फिर Gopio के रूप में पैदा हुए अवतार ब्रज मंडल यशोदा के देवता और नंद GOP आया .
समय भी जल्द ही आ गया है . में Dwapara युग के अंत में मथुरा Ugrasen Yyati राजवंश राजा राज्य करता रहा . संस , राजा कंस के ज्येष्ठ पुत्र Ugrasen था . देवकी उनके साथ पैदा हुआ था . देवकी के चचेरे भाई कंस के रूप में इस तरह पैदा हुआ था . कंस जबरन Ugrasen कैद सिंहासन से वंचित और राजा खुद राजा यहाँ पैदा हुए , कश्यप ऋषि वासुदेव के पुत्र Sursen में पैदा हुआ था, बन गया. साथ देवकी के बाद में एक शादी में यादव में वासुदेव ने निष्कर्ष निकाला है .
कंस देवकी बहुत स्नेह था . जब कंस देवकी आवाज स्वर्ग से आया है कि रथ के साथ दूर देने के लिए जा रहा था , "हे कंस ! बड़ा तु कि देवकी के आठवें पुत्र से रवाना प्यार तेरा यह कंस देवकी को मारने के लिए सुन संहार . आकाशवाणी होगा उद्धरण क्रोध से भर गया वह - . देवकी कौन होगा नहीं उनके बेटे .
घटना के चारों ओर एक सनसनी पैदा की . कई योद्धाओं वासुदेव को जवाब के लिए तैयार थे . वासुदेव के खिलाफ युद्ध नहीं चाहता था . वासुदेव और कंस की देवकी जी, आप देवकी ' करूँगा हाथ आप के आठवें पुत्र का कोई डर नहीं है कि समझाया . आप उसका गुस्सा शांत हो के साथ व्यवहार करने के लिए उन्हें समझाने के लिए सीएनएस को समझने के लिए आते हैं. वासुदेव झूठ नहीं बोला . जी कंस वासुदेव और देवकी , वासुदेव , उन्होंने स्वीकार किया और उन्हें जेल में डाल दिया और सख्त सुरक्षा लागू किया गया है .
जैसे ही वासुदेव और देवकी उसे सौंपी है उनके पहले बेटे कंस को जन्म दिया. कंस नीचे फेंक एक चट्टान से मार डाला. इस प्रकार एक - एक करके निर्दयतापूर्वक कंस , देवकी , सात छोटे बच्चों को मार डाला . पोस्ट भद्रा कृष्ण कृष्ण की अष्टमी रोहिणी नक्षत्र ओर एक जेल सेल प्रसार प्रकाश में उसे जन्म , जन्म हुआ था . शंख , पहिया के सामने वासुदेव और देवकी , गदा , भगवान के रूप एव Pdmdhari चतुर्भुज खुद को प्रकट किया है और अब मैं ' अब आसानी से दो सुलभ और गोकुल में यहाँ मेरे लिए एक छोटी बहन बन करूँगा " , कहा - बस में जन्मी लड़की कंस प्रस्तुत लाया दो के लिए . वासुदेव जी Hthkdia ँ तुरंत खोला . वापस आ कंस की जेल में कृष्णा नंद Yashodaji Sunlakr लड़की . पूर्ववत् करने के लिए अगले यहां के लड़के को जेल के दरवाजे बंद थे . Hthkdia ँ कानून वासुदेव के हाथों में गिर गई , कंस Phredarjag पर सूचना मिली थी लड़की रो . जेल जाकर कंस लड़की को मारने की कोशिश की , लेकिन वह आकाश की देवी की कंस Cutkr फार्म का पत्थर हाथ पर धमाका कर सकते हैं , के ऊपर उड़ान और " हे कंस कहा ! मुझे क्या मारने के लिए? गोकुल की तेरा दुश्मन में metastasized " . कंस घटनास्थल पर हैरान और परेशान किया गया था . कंस कृष्ण कृष्ण कई राक्षस Datyo उसकी Alulik माया की सभी मारे गए . बड़े पैमाने पर कंस Ugrasen हत्या से सिंहासन को Accedes भेजा मारने के लिए . देश में सदाचार से कृष्णा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है जब तिथियों की . था सुनाने के लिए तथा उद्धार के लिए ब्रह्मा जी के पास गई . पृथ्वी पर पाप कर्म बहुत बढ़ गए यह देखकर सभी देवता भी बहुत चिंतित थे . ब्रह्मा जी सब देवताओ को साथ लेकर पृथ्वी को भगवान विष्णु के पास क्षीर सागर ले गए उस समय भगवान विष्णु अन्नत शैया पर शयन कर रहे थे स्तुति करने पर भगवान की निद्रा भंग हो गई भगवान ने ब्रह्मा जी एवं सब देवताओ को देखकर उनके आने का कारण पूछा तो पृथ्वी बोली - . . भगवान मैं पाप के बोझ से दबी जा रही हूँ मेरा उद्धार किजिए यह सुनकर भगवान विष्णु उन्हें आश्वस्त करते हुए बोले - . . " चिंता न करें , मैं नर - . अवतार लेकर पृथ्वी पर आऊंगा और इसे पापों से मुक्ति प्रदान करूंगा मेरे अवतार लेने से पहले कश्यप मुनि मथुरा के यदुकुल में जन्म लेकर वसुदेव नाम से प्रसिद्ध होंगे . मैं ब्रज मण्डल में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से ' कृष्ण ' के रूप में जन्म लूँगा और उनकी दूसरी पत्नी के गर्भ से मेरी सवारी शेषनाग बलराम के रूप में उत्पन्न होंगे . तुम सब देवतागण ब्रज भूमि में जाकर यादव वंश में अपना शरीर धारण कर लो . कुरुक्षेत्र के मैदान में मैं पापी क्षत्रियों का संहार कर पृथ्वी को पापों से भारमुक्त करूंगा . " इतना कहकर अन्तर्ध्यान हो गए . इसके पश्चात् देवता ब्रज मण्डल में आकर यदुकुल में नन्द यशोदा तथा गोप गोपियो के रूप में पैदा हुए .
वह समय भी जल्द ही आ गया . द्वापर युग के अन्त में मथुरा में ययाति वंश के राजा उग्रसेन राज्य करता था . राजा उग्रसेन के पुत्रों में सबसे बड़ा पुत्र कंस था . देवकी का जन्म उन्हीं के यहां हुआ . इस तरह देवकी का जन्म कंस की चचेरी बहन के रूप में हुआ . कंस ने उग्रसेन को बलपूर्वक सिंहासन से उतारकर जेल में डाल दिया और स्वंय राजा बन गया इधर कश्यप ऋषि का जन्म राजा शूरसेन के पुत्र वसुदेव के रूप में हुआ . कालांतर में देवकी का विवाह यादव कुल में वसुदेव के साथ संपन्न हुआ .
कंस देवकी से बहुत स्नेह करता था . पर जब कंस देवकी को विदा करने के लिए रथ के साथ जा रहा था तो आकाशवाणी हुई कि " हे कंस ! जिस देवकी को तु बडे प्रेम से विदा करने कर रहा है उसका आँठवा पुत्र तेरा संहार करेगा . आकाशवाणी की बात सुनकर कंस क्रोध से भरकर देवकी को मारने को उद्धत हो गया . उसने सोचा - ने देवकी होगी न उसका पुत्र होगा .
इस घटना से चारों तरफ हाहाकार मच गया . अनेक योद्धा वसुदेव का साथ देने के लिए तैयार हो गए . पर वसुदेव युद्ध नहीं चाहते थे . वासुदेव जी ने कंस को समझाया कि तुम्हे देवकी से तो कोई भय नही है देवकी की आठवी सन्तान में तुम्हे सौप दूँगा . तुम्हारे समझ मे जो आये उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना उनके समझाने पर कंस का गुस्सा शांत हो गया . वसुदेव झूठ नहीं बोलते थे . कंस ने वासुदेव जी की बात स्वीकार कर ली पर उसने वसुदेव और देवकी को कारागार में बन्द कर दिया और सख्त पहरा लगवा दिया .
तत्काल नारदजी वहाँ पहुँचे और कंस से बोले कि यह कैसे पता चला कि आठवाँ गर्भ कौन सा होगा गिनती प्रथम से या अन्तिम गर्भ से शुरू होगा कंस ने नादरजी के परामर्श पर देवकी के गर्भ से उत्पन्न होने वाले समस्त बालको को मारने का निश्चय कर लिया . जैसे ही देवकी ने प्रथम पुत्र को जन्म दिया वसुदेव ने उसे कंस के हवाले कर दिया . कंस ने उसे चट्टान पर पटक कर मार डाला . इस प्रकार एक - एक करके कंस ने देवकी के सात बालको को निर्दयता पूर्वक मार डाला . भाद्र पद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ उनके जन्म लेते ही जेल ही कोठरी में प्रकाश फैल गया . वासुदेव देवकी के सामने शंख , चक्र , गदा , एव पदमधारी चतुर्भुज भगवान ने अपना रूप प्रकट कर कहा , " अब मै बालक का रूप धारण करता हूँ तुम मुझे तत्काल गोकुल में नन्द के यहाँ पहुँचा दो और उनकी अभी - अभी जन्मी कन्या को लाकर कंस को सौप दो . तत्काल वासुदेव जी की हथकडियाँ खुल गई . दरवाजे अपने आप खुल गये पहरेदार सो गये वासुदेव कृष्ण को सूप में रखकर गोकुल को चल दिए रास्ते में यमुना श्रीकृष्ण के चरणो को स्पर्श करने के लिए बढने लगी भगवान ने अपने पैर लटका दिए चरण छूने के बाद यमुना घट गई वासुदेव यमुना पार कर गोकुल में नन्द के यहाँ गये बालक कृष्ण को यशोदाजी की बगल मे सुंलाकर कन्या को लेकर वापस कंस के कारागार में आ गए . जेल के दरवाजे पूर्ववत् बन्द हो गये . वासुदेव जी के हाथो में हथकडियाँ पड गई , पहरेदारजाग गये कन्या के रोने पर कंस को खबर दी गई . कंस ने कारागार मे जाकर कन्या को लेकर पत्थर पर पटक कर मारना चाहा परन्तु वह कंस के हाथो से छूटकर आकाश में उड गई और देवी का रूप धारण का बोली , " हे कंस ! मुझे मारने से क्या लाभ ? तेरा शत्रु तो गोकुल में पहुच चुका है " . यह दृश्य देखकर कंस हतप्रभ और व्याकुल हो गया . कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए अनेक दैत्य भेजे श्रीकृष्ण ने अपनी आलौलिक माया से सारे दैत्यो को मार डाला . बडे होने पर कंस को मारकर उग्रसेन को राजगद्दी पर बैठाया . श्रीकृष्ण की पुण्य तिथी को तभी से सारे देश में बडे हर्षोल्लास से मनाया जाता है .
द्वापर युग में पृथ्वी पर राक्षसो के अत्याचार बढने लगे पृथ्वी गाय का रूप धारण कर अपनी क श्रीकृष्ण जन्म कथा
पाप यह भी बिल्कुल भी चिंतित था पृथ्वी भगवान पर काफी वृद्धि हुई है . ब्रह्मा के साथ साथ Dewatao सारी पृथ्वी , भगवान विष्णु लेटेक्स सागर लिया. बेड पर भगवान विष्णु नींद को अंतिम रूप दिया गया . मेरा उद्धार रहते हैं . " मैं नर, चिंता मत करो - - . . भगवान विष्णु ने कहा कि सुनने के लिए आश्वस्त है जबकि अवतार पृथ्वी पर आते हैं और यह मोक्ष प्रदान करेगा मथुरा में पैदा किया जा रहा मेरे अवतार कश्यप मुनि के अवतार लेने से पहले, वासुदेव जाना जाएगा मैं पत्नी हूँ वासुदेव और देवकी के ब्रज मंडल कृष्णा में गर्भ और उनकी दूसरी पत्नी की मेरी सवारी के गर्भ से जन्म लेने के रूप में बलराम Sheshnaag के रूप में उत्पन्न हो जाएगा . तुम सब देवताओं ब्रज यादव वंश उस में उसके शरीर धारण कर जमीन में चला गया . क्षेत्र में कुरुक्षेत्र पृथ्वी के क्षत्रियों पापी पापों की हत्या से मैं राहत मिली . " Antrdhyan तो कह रहे थे . फिर Gopio के रूप में पैदा हुए अवतार ब्रज मंडल यशोदा के देवता और नंद GOP आया .
समय भी जल्द ही आ गया है . में Dwapara युग के अंत में मथुरा Ugrasen Yyati राजवंश राजा राज्य करता रहा . संस , राजा कंस के ज्येष्ठ पुत्र Ugrasen था . देवकी उनके साथ पैदा हुआ था . देवकी के चचेरे भाई कंस के रूप में इस तरह पैदा हुआ था . कंस जबरन Ugrasen कैद सिंहासन से वंचित और राजा खुद राजा यहाँ पैदा हुए , कश्यप ऋषि वासुदेव के पुत्र Sursen में पैदा हुआ था, बन गया. साथ देवकी के बाद में एक शादी में यादव में वासुदेव ने निष्कर्ष निकाला है .
कंस देवकी बहुत स्नेह था . जब कंस देवकी आवाज स्वर्ग से आया है कि रथ के साथ दूर देने के लिए जा रहा था , "हे कंस ! बड़ा तु कि देवकी के आठवें पुत्र से रवाना प्यार तेरा यह कंस देवकी को मारने के लिए सुन संहार . आकाशवाणी होगा उद्धरण क्रोध से भर गया वह - . देवकी कौन होगा नहीं उनके बेटे .
घटना के चारों ओर एक सनसनी पैदा की . कई योद्धाओं वासुदेव को जवाब के लिए तैयार थे . वासुदेव के खिलाफ युद्ध नहीं चाहता था . वासुदेव और कंस की देवकी जी, आप देवकी ' करूँगा हाथ आप के आठवें पुत्र का कोई डर नहीं है कि समझाया . आप उसका गुस्सा शांत हो के साथ व्यवहार करने के लिए उन्हें समझाने के लिए सीएनएस को समझने के लिए आते हैं. वासुदेव झूठ नहीं बोला . जी कंस वासुदेव और देवकी , वासुदेव , उन्होंने स्वीकार किया और उन्हें जेल में डाल दिया और सख्त सुरक्षा लागू किया गया है .
जैसे ही वासुदेव और देवकी उसे सौंपी है उनके पहले बेटे कंस को जन्म दिया. कंस नीचे फेंक एक चट्टान से मार डाला. इस प्रकार एक - एक करके निर्दयतापूर्वक कंस , देवकी , सात छोटे बच्चों को मार डाला . पोस्ट भद्रा कृष्ण कृष्ण की अष्टमी रोहिणी नक्षत्र ओर एक जेल सेल प्रसार प्रकाश में उसे जन्म , जन्म हुआ था . शंख , पहिया के सामने वासुदेव और देवकी , गदा , भगवान के रूप एव Pdmdhari चतुर्भुज खुद को प्रकट किया है और अब मैं ' अब आसानी से दो सुलभ और गोकुल में यहाँ मेरे लिए एक छोटी बहन बन करूँगा " , कहा - बस में जन्मी लड़की कंस प्रस्तुत लाया दो के लिए . वासुदेव जी Hthkdia ँ तुरंत खोला . वापस आ कंस की जेल में कृष्णा नंद Yashodaji Sunlakr लड़की . पूर्ववत् करने के लिए अगले यहां के लड़के को जेल के दरवाजे बंद थे . Hthkdia ँ कानून वासुदेव के हाथों में गिर गई , कंस Phredarjag पर सूचना मिली थी लड़की रो . जेल जाकर कंस लड़की को मारने की कोशिश की , लेकिन वह आकाश की देवी की कंस Cutkr फार्म का पत्थर हाथ पर धमाका कर सकते हैं , के ऊपर उड़ान और " हे कंस कहा ! मुझे क्या मारने के लिए? गोकुल की तेरा दुश्मन में metastasized " . कंस घटनास्थल पर हैरान और परेशान किया गया था . कंस कृष्ण कृष्ण कई राक्षस Datyo उसकी Alulik माया की सभी मारे गए . बड़े पैमाने पर कंस Ugrasen हत्या से सिंहासन को Accedes भेजा मारने के लिए . देश में सदाचार से कृष्णा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है जब तिथियों की . था सुनाने के लिए तथा उद्धार के लिए ब्रह्मा जी के पास गई . पृथ्वी पर पाप कर्म बहुत बढ़ गए यह देखकर सभी देवता भी बहुत चिंतित थे . ब्रह्मा जी सब देवताओ को साथ लेकर पृथ्वी को भगवान विष्णु के पास क्षीर सागर ले गए उस समय भगवान विष्णु अन्नत शैया पर शयन कर रहे थे स्तुति करने पर भगवान की निद्रा भंग हो गई भगवान ने ब्रह्मा जी एवं सब देवताओ को देखकर उनके आने का कारण पूछा तो पृथ्वी बोली - . . भगवान मैं पाप के बोझ से दबी जा रही हूँ मेरा उद्धार किजिए यह सुनकर भगवान विष्णु उन्हें आश्वस्त करते हुए बोले - . . " चिंता न करें , मैं नर - . अवतार लेकर पृथ्वी पर आऊंगा और इसे पापों से मुक्ति प्रदान करूंगा मेरे अवतार लेने से पहले कश्यप मुनि मथुरा के यदुकुल में जन्म लेकर वसुदेव नाम से प्रसिद्ध होंगे . मैं ब्रज मण्डल में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से ' कृष्ण ' के रूप में जन्म लूँगा और उनकी दूसरी पत्नी के गर्भ से मेरी सवारी शेषनाग बलराम के रूप में उत्पन्न होंगे . तुम सब देवतागण ब्रज भूमि में जाकर यादव वंश में अपना शरीर धारण कर लो . कुरुक्षेत्र के मैदान में मैं पापी क्षत्रियों का संहार कर पृथ्वी को पापों से भारमुक्त करूंगा . " इतना कहकर अन्तर्ध्यान हो गए . इसके पश्चात् देवता ब्रज मण्डल में आकर यदुकुल में नन्द यशोदा तथा गोप गोपियो के रूप में पैदा हुए .
वह समय भी जल्द ही आ गया . द्वापर युग के अन्त में मथुरा में ययाति वंश के राजा उग्रसेन राज्य करता था . राजा उग्रसेन के पुत्रों में सबसे बड़ा पुत्र कंस था . देवकी का जन्म उन्हीं के यहां हुआ . इस तरह देवकी का जन्म कंस की चचेरी बहन के रूप में हुआ . कंस ने उग्रसेन को बलपूर्वक सिंहासन से उतारकर जेल में डाल दिया और स्वंय राजा बन गया इधर कश्यप ऋषि का जन्म राजा शूरसेन के पुत्र वसुदेव के रूप में हुआ . कालांतर में देवकी का विवाह यादव कुल में वसुदेव के साथ संपन्न हुआ .
कंस देवकी से बहुत स्नेह करता था . पर जब कंस देवकी को विदा करने के लिए रथ के साथ जा रहा था तो आकाशवाणी हुई कि " हे कंस ! जिस देवकी को तु बडे प्रेम से विदा करने कर रहा है उसका आँठवा पुत्र तेरा संहार करेगा . आकाशवाणी की बात सुनकर कंस क्रोध से भरकर देवकी को मारने को उद्धत हो गया . उसने सोचा - ने देवकी होगी न उसका पुत्र होगा .
इस घटना से चारों तरफ हाहाकार मच गया . अनेक योद्धा वसुदेव का साथ देने के लिए तैयार हो गए . पर वसुदेव युद्ध नहीं चाहते थे . वासुदेव जी ने कंस को समझाया कि तुम्हे देवकी से तो कोई भय नही है देवकी की आठवी सन्तान में तुम्हे सौप दूँगा . तुम्हारे समझ मे जो आये उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना उनके समझाने पर कंस का गुस्सा शांत हो गया . वसुदेव झूठ नहीं बोलते थे . कंस ने वासुदेव जी की बात स्वीकार कर ली पर उसने वसुदेव और देवकी को कारागार में बन्द कर दिया और सख्त पहरा लगवा दिया .
तत्काल नारदजी वहाँ पहुँचे और कंस से बोले कि यह कैसे पता चला कि आठवाँ गर्भ कौन सा होगा गिनती प्रथम से या अन्तिम गर्भ से शुरू होगा कंस ने नादरजी के परामर्श पर देवकी के गर्भ से उत्पन्न होने वाले समस्त बालको को मारने का निश्चय कर लिया . जैसे ही देवकी ने प्रथम पुत्र को जन्म दिया वसुदेव ने उसे कंस के हवाले कर दिया . कंस ने उसे चट्टान पर पटक कर मार डाला . इस प्रकार एक - एक करके कंस ने देवकी के सात बालको को निर्दयता पूर्वक मार डाला . भाद्र पद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ उनके जन्म लेते ही जेल ही कोठरी में प्रकाश फैल गया . वासुदेव देवकी के सामने शंख , चक्र , गदा , एव पदमधारी चतुर्भुज भगवान ने अपना रूप प्रकट कर कहा , " अब मै बालक का रूप धारण करता हूँ तुम मुझे तत्काल गोकुल में नन्द के यहाँ पहुँचा दो और उनकी अभी - अभी जन्मी कन्या को लाकर कंस को सौप दो . तत्काल वासुदेव जी की हथकडियाँ खुल गई . दरवाजे अपने आप खुल गये पहरेदार सो गये वासुदेव कृष्ण को सूप में रखकर गोकुल को चल दिए रास्ते में यमुना श्रीकृष्ण के चरणो को स्पर्श करने के लिए बढने लगी भगवान ने अपने पैर लटका दिए चरण छूने के बाद यमुना घट गई वासुदेव यमुना पार कर गोकुल में नन्द के यहाँ गये बालक कृष्ण को यशोदाजी की बगल मे सुंलाकर कन्या को लेकर वापस कंस के कारागार में आ गए . जेल के दरवाजे पूर्ववत् बन्द हो गये . वासुदेव जी के हाथो में हथकडियाँ पड गई , पहरेदारजाग गये कन्या के रोने पर कंस को खबर दी गई . कंस ने कारागार मे जाकर कन्या को लेकर पत्थर पर पटक कर मारना चाहा परन्तु वह कंस के हाथो से छूटकर आकाश में उड गई और देवी का रूप धारण का बोली , " हे कंस ! मुझे मारने से क्या लाभ ? तेरा शत्रु तो गोकुल में पहुच चुका है " . यह दृश्य देखकर कंस हतप्रभ और व्याकुल हो गया . कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए अनेक दैत्य भेजे श्रीकृष्ण ने अपनी आलौलिक माया से सारे दैत्यो को मार डाला . बडे होने पर कंस को मारकर उग्रसेन को राजगद्दी पर बैठाया . श्रीकृष्ण की पुण्य तिथी को तभी से सारे देश में बडे हर्षोल्लास से मनाया जाता है .