Friday 23 August 2013

ओम नमः शिवाय

श्रावण मास। यानी भगवान शिव का मनपसंद समय। जब वे सुनते हैं भक्तों की फरियाद और कर देते हैं उन्हें खुश। कहा जाता है कि श्रावण मास में भगवान भोले किंचित मात्र पूजा से ही प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों को दे देते हैं मनचाहा आशीर्वाद। यही कारण है कि श्रावण मास के नजदीक आते ही भोले भंडारी बन गए हैं भक्तांे के रखवाले। आइए आज हम भी आपको कराते हैं भगवान भोले के दर्शन। 

ओम नमः शिवाय- ओम नमः शिवाय- ओम नमः शिवाय। आप भी कर लिजिए भगवान शिव के दर्शन। धौलपुर जिले के चंबल नदी के बीहड़ों में विराजे भोले नाथ की अपनी महिमा है। अभी श्रावण मास के नजदीक आते ही यहां बढ़ गई है भक्तों की भीड़। बीहड़ों में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर के बारे में यहां कई किवदंतियां जुड़ी हुई है। भक्तांे के अनुसार ये मंदिर लगभग हजार साल पुराना है। हालांकि बीहड़ों में होने से यहां भक्तों का आना कम ही होता है लेकिन इसके बावजूद यहां श्रावण मास में भक्तों का मेला आम बात हो चुकी है। आखिर यहां गहरी आस्था रखने वाले भक्तों की हर मनोकामना को भगवान शिव पूरा भी तो करते हैं। तभी तो ना केवल धौलपुर बल्कि पूरे राजस्थान और यूपी एमपी के भक्त भी बाबा के द्वार पर मौजूद है
बुजूर्ग बताते हैं कि मंदिर के गर्भ गृह की खुदाई भक्तों ने की थी। लेकिन इसकी खुदाई जैसे जैसे गहरी होती गई, वैसे वैसे भोलेनाथ की चैड़ाई भी बढ़ती गई। खुदाई के साथ मूर्ति अष्टाकार हो गई, लेकिन इसका कोई अंत नहीं निकला। पिंडी को देखने से ये ज्योतिर्लिंग के रूप में है। साथ ही यहां भगवान भोले का चमत्कार ही है कि ये दिन में तीन बार अपना रंग भी बदल लेते हैं। सुबह इसकी आभा लाल रंग लिए होती है तो दोपहर में केसरिया हो जाती है। वही शाम को भगवान भोले सांवला रंग धारण कर लेते है।
यहाँ ऐसी मान्यता है कि कुंवारे लड़के-लड़कियाँ अगर शिवजी से अपनी शादी के लिए प्रार्थना करें तो उनकी शादी हो जाती है। मंदिर परिसर में पुराने समय की ही बनी गुफाएं भी है। कहा जाता है कि ये ही वो जगह है जहां साधु संत तपस्या किया करते थे। लेकिन आज इन गुफाओं का कोई उपयोग नहीं हो रहा। फिर भी भक्तों की इसमें असीम श्रद्धा है। आखिर यहां आकर मांगने मात्र से भक्तों को सब कुछ मिल जाता है।

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